पितृ स्थान वालों का अंदोसर मंदिर पर एहसान

 


आज समाज के एक प्रबुद्ध समुदाय ने मंदिरों पर, मन्दिरों में विराजमान भगवानों पर एहसान करने के लिए पिछले कुछ सालों में एक नयी परंपरा का आगाज किया है. मन्दिरों की जमीन पर अपने परिवार के कुँवारे मृतक पूर्वज के लिए पितृ स्थान बनवाये जाने की परम्परा का और उस पर तुर्रा यह कि इस तरह वे साल में कम से कम एक दिन मन्दिर में अवश्य पधारेंगे. इसी परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है पुश्तैनी शिवालय अंदोसर मंदिर नई बस्ती कांधला में पिछले कुछ समय से कांधला कस्बे के कुछ निवासियों द्वारा, जिन्होंने अब कांधला छोडकर दिल्ली में अपना निवास बना लिया है. वे गणमान्य लोग हर चैत्र मास की अमावस्या को अंदोसर मंदिर में पधारते हैं और मन्दिर में कुछ पूजा पाठ कर एक सूक्ष्म भंडारे का आयोजन करते हैं और उसके बाद मंदिर पर झूठी प्लेट, फटे कपड़े पौंछा - पाछी के लिए, खाली बोतलें, ईंट की टूटी भट्टी मतलब पूर्ण रूप से कूड़ा - कबाड़ डाल कर एहसान कर चले जाते हैं अपने घर वापस, उन्हें नहीं मतलब कि इतनी गंदगी में भगवान कैसे रहेंगे? उन्हें नहीं मतलब कि मन्दिर प्रबन्धक उनके इस एहसान का कर्ज कैसे चुकाएगा? उन्हें नहीं मतलब कि रोजाना आने वाले श्रद्धालुओं को ऐसी गंदगी में आना अच्छा भी लगेगा या नहीं? वे आते हैं उन्हें मुफ्त की कुर्सी चाहिए क्योंकि दिल्ली से आने के कारण वे यहां किसी कुर्सी वाले को नहीं जानते, वे नहीं जानते कि स्वच्छता अभियान चलाने वाले भाजपा के शासन में मन्दिरों में सफाई की व्यवस्था कैसे की जा रही है. वे जानते हैं केवल पितृ स्थान बनाना, जिनका कोई वर्णन हमारे वेद शास्त्रों में नहीं है और अगर पितृ के प्रति इतनी ही श्रद्धा है कि मन्दिर में प्राण प्रतिष्ठा कर विराजे प्रभु के बराबर में अपने पितरों को बैठा सकते हैं तो एक बार अपने घर के मन्दिर में भगवान की तस्वीर के बराबर में अपने पूर्वजों की तस्वीर लगा कर देखें, तब उन्हें पता चल जाएगा भगवान और पितरों के साथ साथ बैठाने का असर, फ़िलहाल तो मन्दिर महादेव मारूफ शिवाला कांधला धर्मार्थ ट्रस्ट (रजिस्टर्ड) ही झेल रहा है पितृ स्थान परंपरा वाले समुदाय की सम्पन्नता को मन्दिर में फैली गंदगी के रूप में और खुद ही वहां सफाई कर उनके भगवान को और मन्दिर में आने वाले श्रद्धालुओं को गंदगी से बचाने का प्रयास कर रहा है.
हर हर महादेव 

प्रस्तुति 
शालिनी कौशिक 
एडवोकेट 
अध्यक्ष 
मन्दिर महादेव मारूफ शिवाला 
कांधला धर्मार्थ ट्रस्ट (रजिस्टर्ड) 

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